Rang Panchami 2024 रंग पंचमी की जानिए तिथि,मुहुर्त और महत्त्व

 

रंग पंचमी यह त्योहार होली का समापन दिन माना जाता है।इस दिन देवी देवताओं संग होली खेलने का विशेष महत्व है।आईए जानते हैं होली के बारे में पूरी जानकारी लेते है।

 

रंग पंचमी 2024👉होली के 5 दिन बाद रंग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। रंग पंचमी यह होली का ही एक रूप है।इस दिन देवता गण वायु रूप में धरती पर आकर रंग–गुलाल–अबीर से होली खेलते हैं। रंग पंचमी का पर्व मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में अधिक प्रचलित है ऐसे देव पंचमी और श्री पंचमी भी कहा जाता है।

     धार्मिक मान्यता है कि रंग पंचमी के दिन भगवान कृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी।इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन देवतागन धरती पर आकर रंग,गुलाल या अबीर से होल होली खेलते हैं।रंग पंचमी शनिवार 30 मार्च 2024 को मनाई जाएगी।होलिका दहन से होली की शुरुआत होती है,अगले दिन रंग वाली होली क्षेत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज और पंचमी तिथि पर रंग पंचमी की होली के साथ समाप्ति होती है।


रंग पंचमी का महत्त्व👉 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रंग पंचमी के दिन ही कान्हा जी ने ब्रज की लाडली राधा रानी के साथ होली खेली थी।मान्यता यह भी है कि इस दिन देवी देवता धरती पर आकर होली खेलते हैं और हवा में गुलाल उड़ाते हैं।इस दिन हवा में उडाया गया गुलाल जिस व्यक्ति पर गिरता है,उसके ऊपर भगवान की विशेष कृपा बरसती है।इसके अलावा कुंडली में ग्रह दोष दूर करने के लिए इस दिन देवताओं को गुलाल और अबीर अर्पित करना चाहिए।रंग पंचमी के दिन सच्चे मन से भगवान की पूजा करने से देवी देवता प्रसन्न होकर आप पर अपनी असीम कृपा बरसाते हैं।रंग पंचमी का यह पावन पर्व पंच तत्व जैसे – पृथ्वी,अग्नि,वायु ,जल और आकाश को संक्रिय करने के लिए मनाई जाती है।


रंग पंचमी मुहुर्त👉 चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत  29 मार्च की रात 8:20 पर होगी वही तिथि का समापन 30 मार्च रात 9:13 पर होगी।ऐसे में उदया तिथि के अनुसार रंग पंचमी का त्योहार 30 मार्च 2024 के दिन शनिवार को मनाया जाएगा।इस दिन होली खेलने का समय सुबह 7: 46 से सुबह 9:19 तक है।


रंग पंचमी पूजा कैसे करे👉 रंग पंचमी के दिन कमल के फूल पर बैठी लक्ष्मी नारायण के चित्र को घर के उत्तर दिशा में स्थापित करें और लोटे में जल भर कर रखें।गाय के घी का दीपक प्रज्वलित कर के लाल गुलाब के फूल लक्ष्मी नारायण जी को अर्पित करें।एक आसन पर बैठकर ॐ श्री श्रीये नमः मंत्र का तीन माला जाप करें। लक्ष्मी नारायण जी को गुड और मिश्री का भोग लगाए।


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